Originaltitel | Dialekt | Informant | Genre Form | Genre Inhalt | ID | glossiert | Audio |
---|---|---|---|---|---|---|---|
jipəɣ (AIK) | yugan khanty (YK) | Kayukova, Aleksandra Ivanovna (Taylakova) | prose (pro) | Tales (tal) | 1623 | by Schön, Zsófia | Audio |
Textquelle | Herausgeber | Sammler |
---|---|---|
First publication Zsófia Schön (2017). | Kayukova, Lyudmila Nikolaevna; Schön, Zsófia | Schön, Zsófia (ZS) |
Englische Übersetzung | Deutsche Übersetzung | Russische Übersetzung | Ungarische Übersetzung |
---|---|---|---|
– | "Der Bär (AIK)" | – | – |
by Antoniol, Annette; Csanády, Roxane; Fleischhacker, Sibylle; Grieser, Katrin; Hastreiter, Tamara; Lohrer, Norman; Schön, Zsófia |
Zitation |
---|
Schön, Zsófia 2017: OUDB Yugan Khanty (2010–) Corpus. Text ID 1623. Ed. by Schön, Zsófia. http://www.oudb.gwi.uni-muenchen.de/?cit=1623 (Accessed on 2024-11-22) |
jipəɣ (AIK) (glossed version) |
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59
1 |
|
|
|
|
|
|
Ein Mann hatte in alten Zeiten einen Bären. |
2 |
|
|
|
|
Und er zog ihn von klein an auf. |
3 |
|
|
|
|
|
|
|
Und um mit seinem Bären in den Wald zu gehen gi... |
4 |
|
|
|
|
|
Zusammen gingen sie irgendwohin um irgendetwas zu tun[, also er] mit seinem Bären. |
5 |
|
|
|
|
|
|
Das kleine Bärchen wurde sehr groß. |
6 |
|
|
|
|
|
|
Wald... er will in Richtung des Waldes gehen. |
7 |
|
|
|
|
|
Und Menschen vergangener Zeiten fuhren mit Schlitten. |
8 |
|
|
|
|
Und er hebt den Zugriemen auf. |
9 |
|
|
|
|
|
|
Und dieser Schlitten wird vom Bären gezogen. |
10 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Was er isst, damit füttert er auch jenen Bären. |
11 |
|
|
|
|
|
Wenn man [ihm] nichts gibt, dann wird er wütend. |
12 |
|
|
|
Eine solche Legende? |
13 |
|
|
Kennst du [sie]? |
14 |
|
|
|
Weißt du, wie es weiter geht? |
15 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und so eines Tages, in alten Zeiten, saß sein Bär ähm am Ende des Unterschlupfes tuy... |
16 |
|
|
|
|
|
|
Wijɐgi... er geht weiter weg, nun. |
17 |
|
|
|
|
Der Bär ist zu Hause. |
18 |
|
|
|
|
|
|
|
|
Er kam wieder, der Bär sitzt wütend da. |
19 |
|
|
|
|
|
Hej seine Haare sträuben sich. |
20 |
|
|
|
So sitzt er [da]. |
21 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und sein Herrchen sagte: „Du ‒ sagt er ‒ ich behandle [dich] wie meinen Sohn. |
22 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Du, mein Sohn, ‒ fragte er ‒ bist du auf mich wütend geworden?“ |
23 |
|
|
|
|
|
|
|
Jener sprang von seinem Schlafplatz auf, er stand auf. |
24 |
|
|
|
Der Bär springt hin und her. |
25 |
|
|
|
|
Und genauso setzte er sich hin. |
26 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und er fragt erneut: „Du, mein Sohn, hattest du einen wütenden Gedanken auf mich; sitzt du deshalb so da?“ |
27 |
|
|
|
|
Das Wesen sprang nun auf. |
28 |
|
|
|
|
Er hob seine Tätzchen hoch. |
29 |
|
|
|
|
|
Und er setzte sich wieder genauso hin. |
30 |
|
|
|
|
|
Und der Mann begann sich zu fürchten. |
31 |
|
|
|
|
|
|
|
Er bereitet wahrlich ein paar Sachen vor. |
32 |
|
|
|
|
|
|
Er zündete ein großes Feuer an. |
33 |
|
|
Er sitzt [am Feuer]. |
34 |
|
|
|
|
|
|
|
Eines Tages kommt so ein anderer Bär. |
35 |
|
|
|
|
|
|
|
Jener Bär erahnte das Kommen des Anderen. |
36 |
|
|
|
|
|
Der Bär aus dem Wald kommt sofort [zu ihm]. |
37 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Auf einmal dann... dann sprang er weiter vor, [und] mit jenem Bären kämpften sie. |
38 |
|
|
|
|
|
|
Und er sprang hervor. |
39 |
|
|
|
|
|
Menschen vergangener Zeiten hatten solche Eisen. |
40 |
|
|
|
|
|
|
Du weißt es [doch] wirklich, das Eisen als Spazierstock. |
41 |
|
|
|
|
|
Und Gewehre hatten sie keine. |
42 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und als er anfing damit zu stechen sagt er, sagt er: „Du, mein Sohn, bist du oben oder unten? |
43 |
|
|
Schrei!“ |
44 |
|
|
|
|
|
Wie auch immer, von der oberen Seite schrie er auf. |
45 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Oj, der Mann ähm fragte ihn dann nochmal: „Du, mein Sohn, bist du oben oder unten?“ |
46 |
|
|
|
|
|
|
Als er aufbrüllte, wurde er schon nach unten geworfen. |
47 |
|
|
|
|
|
|
|
Und der wurde vom Mann mit jenem Spazierstock aufgespießt. |
48 |
|
|
|
|
|
|
|
|
Und sie stießen ihn nach unten, jenen Bären. |
49 |
|
|
|
|
Und so freute er sich. |
50 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Er setzte sich hin, zu seinem Herrchen e ... er freute sich immer noch etwas. |
51 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Jener hatte die Ankunft jenes Bären gespürt, [und] saß [deswegen] in anderer Gestalt verwandelt da. |
52 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und sein Herrchen fragt ihn: „Du, mein Sohn, werfen wir [ihn] weg oder, oder nehmen wir ihn aus – fragt er – [und] bringen wir [ihn] nach Hause?“ |
53 |
|
|
|
|
Er began ihn nach Hause zu ziehen. |
54 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und jener... jener Mann nahm [ihn] aus, das Herrchen. |
55 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Und er, er setzte sich mit dem Rücken [zu ihm] hin, dieser Bär. |
56 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Zu der Stelle, wo der Bär und dergleichen aufgehängt wird, selbst wenn... er schaut dort nicht hin. |
57 |
|
|
|
Er schaut zur Seite. |
58 |
|
|
|
Verstehst du das alles? |
59 |
|
|
|
|
|
|
|
|
Solch eine Legende gibt es, die Legende vom Aufziehen des Bären. |